झूर्रियां भगाने के घरेलू उपाय
अर्पिता तालुकदार
बढ्ती उम्र के साथ त्वचा पर पडने वाली झूर्रियों को विलकुल तो नही रोका जा सकता लेकिन त्वचा की देखबाल द्धारा झूर्रियों पडने की रफ्तार को कम किया जा सकता है। त्वचा से झूर्रियों को दूर करके त्वचा को आकर्षक बनाया जा सकता है। निम्न उपचारों द्धारा त्चचा से झूर्रियों को हटाया जा कम किया जा सकता है-
पका पपीता काट कर चेहरे पर मलें १५-२० मिनट बाद चेहरा धो लें। इस प्रयोग को लगातार कुछ दिनो तक करने से त्वचा की झूर्रियों दूर होती है।
विटामिन-ई से झूर्रियां मिटती है। अंकुरित दाम व मूंग मे विटामिन-ई प्रचुर मात्रा मे होता है। सुबह शाम अंकुरित आनाज के सेवन से झूर्रियों से बचाव होता है।
आधा चम्मच दूध की मलाई मे निबूं के रस की ४-५ बूंदे मिला कर रात मे सोते समय झूर्रियों वाली त्वचा पर अच्छी तरह मलें ताकि वह त्चचा मे पूरी तरह रम जाए। आधे घंटे वाद त्चचा को धो लें। लगातार १५-२० दिन तक प्रयोग करने से चेहरे की झूर्रियां दूर होती है।
कच्चे दूध मे रुइ का फाहा भिगोकर चेहरे, गर्दन, हाथों के त्चचा पर ५-१० बार धीरे धीरे मलें । १०-१५ मिनट के बाद त्वचा ठंडे पाने से धो लें। निरंतर इस प्रयोग से चेहरे की झूर्रियों दूर हो कर चेहरा स्निग्ध व कमनीय बन जाता है।
स्नान करने के बाद जैतून के तेल से त्चचा की मालिश करें। उंगलियों के पोरो को तेल मे डुबाकर झूर्रियों के विपरित दिशा मे मालिश करने से त्वचा की झूर्रियों दूर होती है।
गुनगुने पानी मे थोडा सा बेसन को घोल कर पेस्ट सा बना लें, इसे चेहरे के त्चचा पर मल कर त्चचा साफ कर लें । अब एक चम्मच शहद नीचे से उपर की तरफ लगाए। आधे घंटे बाद चेहरे व शहद लगे अन्य भागों को धो दें। यह प्रयोग लगातार ६-७ सप्ताह करते रहने से बढती उम्र के कारण उत्पन्न झूर्रियों दूर होती है।
सफल दांपत्य जीवन के महत्वपूर्ण सूत्र
एक सिक्के के दो पहलूडा० श्रीराम शर्मा आचार्य पति-पत्नी दोनो का जीवन एक सिक्के के दो पहलू है दोनो मे अभिंन्ता है, एक्य है। दाम्पत्य जीवन स्त्री पुरुष की अन्नयता का गठबंधन है । अत: किसी प्रकार का दुराव, छिपाव, दिखावा, बनावटी व्यवहार और परस्पर अविश्वास, एक दुसरे के प्रति घृणा को जन्म देता हैऔर इसी से दाम्पत्य जीवन नष्ट-भ्रष्ट हो जाता है। पति-पत्नी दोनो अपने मानसिक क्षेत्र में बहुत बडा एक कुटुम्ब होते हैं। अपनी मानसिक अवश्यकताओ के आधार पर पति-पत्नी से ही विभिन्न समय से सलाहकार की तरह मंत्री की सी योग्यता भोजन करते समय मां की वात्सलयता, आत्म सेवा के लिए आज्ञापालक नौकर, जीवन पथ मे एक अभिन्न मित्र, गृहणी, रमणी आदि, अकांक्षा रखता है। इसी तरह पत्नी भी पति से जीवन निर्वाह के क्षेत्र मे मां-बाप, दुख-दर्द मे अभिन्न साथी, कल्याण और उन्नति के लिए सदगुरु, कामनाओ की तृप्ति के लिए भरतार, सुरक्षा संरक्षण के लिए भाई आदि, के कर्त्वयपूर्ति की आशा रखती है। जब परस्पर इन मानसिक अवश्यकताओ की पूर्ति नही होती, तो एक दुसरे मे असंतोष की भावना उत्पन हो जाता है । एक दुसरे की भावनाओ का ध्यान रखते हुए, एक दुसरे की योग्यता वृर्द्धि खासकर पुरुषो द्धारा स्त्रियों के ज्ञानवर्धन मे योग देकर परस्पर क्षमाशीलता, उदारता, सहिष्णुता अभिन्ता, एकदुसरे के प्रति मानसिक तृप्ती करते हुए दाम्पत्य जीवन् को सुखी, समृद्ध बनाया जा सकता है। इसके लिए पुरुषों को अधिक प्रयत्न करना अवश्यक है । वे अपने प्रयत्न व व्यवहार से गृहस्थ जीवन की कायापलट कर सकते है। अपने सधार के साथ ही स्त्रियों की शिक्षा-दिक्षा, ज्ञानवर्धन, उन के कल्याण के लिए हार्दिक प्रयत्न करके दाम्पत्य जीवन को सफल बनाया जा सकता है । धैर्य और विवेक के साथ एक दुसरे को समझते हुए अपने स्वभाव, व्यवहार मे परिवर्तन करके ही दाम्पत्य जीवन को सुख-शान्तिपूर्ण बनाया जा सकता है । पति-पत्नी की परस्पर आलोचना दाम्पत्य जीवन के मधुर संबंधो मे खटास पैदा कर देती है। इससे एक दुसरे की आत्मीयता, प्रेम, स्नेहमय आकर्षण समाप्त हो जातें है। कई अपनी स्त्री की बात बात पर आलोचना करते हैं। उनके भोजन बनाने, रहन-सहन, बोलचाल, आदि तक मे नुक्ताचीनी करते हैं इससे स्त्रियो पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। पति की उपस्थिति उन्हे बोझ सी लगती है और वे उन्हे उपेक्षा तक करने लगती है। स्त्रियां सदेब चाहती है कि उन का पति उनके काम, रहन-सहन, आदि की प्रशंसा करें। वस्तुत: पति के मुँह से निकला हुआ प्रशंसा का एक शब्द पत्नी को वह प्रसन्नता प्रदान करता है जो किसी बाह्य साधन, वस्तु से उपल्बध नही हो सकती। दाम्पत्य जीवन मे जो परस्पर प्रशंसा करते नही थकते, वे सुखी, संतुष्ट व प्रसन्न रहते है। जिन स्त्रियो को पति की कटु आलोचना सुननी पड्ती है, वे सदैव यह चाहती है कि कब वहां से हटे और पति की अनुपस्थिति मे वे अन्य माध्मो से अपने दबे हुए भावो की तृप्ति करती है। सखियों से तरह तरह के गप्पे लडाती है, तरह- तरह के श्रिंगार करके बाज़ार मे निकलती है और यहां तक कि पर-पुरुषो के प्रशंसापात्र बन कर अपने भावों को पृप्त करने का भी प्रयत्न करती है । जो प्रेम व प्रशंसा उन्हे उन के पति से मिलना चाहती थी, वह उन्हे अन्यत्र ढूढने का प्रयत्न करती है । कई स्त्रीयां मानसिक रोगो से ग्रस्त हो जाती है, अथवा क्रोधी, चिडचिडे स्वभाव की झगडालू बन जाती है । इस तरह स्त्रियों द्धारा पति की उपेक्षा, आलोचना करना भी उतना ही विषेला है। पुरुषो को अपने काम से थक कर आने पर घर मे प्रेम व उल्लास का उमडता हुआ समुद्र लहराता मिलना चाहिए, जिससे उन की दिन भर की थकान, क्लांति, परेशानी धुल जाए । उनके साथ यदि पत्नी कटु आलोचना, वयग्य-बान, बच्चे की धर पकड, हाय हल्ले का सामना करना पडे तो उस आदमी का क्या हालत होगी, भुक्तभोगी इस का अंदाज़ा लगा सकते है। पति पत्नी का एक समान संबंध है, जिसमे न कोई छोटा, न कोई बडा है । दामप्त जीवन मे विषबृधि का एक कारण परस्पर और आदर-भावनाओ की कमी भी है। |
घरेलू नुस्खे
सौन्दर्य निखार के नुसखें
चेहरे पर बादाम के तेल की मालिश करने से इसके रोमकूप खुलते है।
चेहरे पर गुलाबी पन लाने के लिए नहाने से पहले कच्चे दूध मे निंबू का रस व नमक मिला कर मलें।
शहद मे ज़रा-सी हलदी मिला कर चेहरे पर लगाएं इससे चेहरे की मैल निकलने से चेहरा साफ व ताज़गी भरा बना रहेगा।
केले को मैश करके उस मे एक चम्मच दूध मिलाएं। इसे चेहरे पर लगा कर ठंडे पानी से छिंटे मारें। ऐसा १०-१५ मिनट करने के पश्चात चेहरे को थपथपा कर सुखा लें झुर्रियां दुर होंगी।
एक चमच सौफ को पानी मे अच्छी तरह उबालें। जब पाने गाढा हो जाए तो उतनी मात्रा मे ही शहद मिला लें इसे चेहरे पर लगाने के १० मिनट बाद चेहरा धो लें। झुर्रियां दुर होकर चेहरे पर चमक आएगी।
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शहद को त्वचा पर मलने से नमी नष्ट नही होती । तरबूजे के गूदे को चेहरे व गर्दन पर मलें । थोडी देर बाद इसे ठंडे पानी से धो लें । नियमित करने से चेहरे के दाग दूर होते हैं
तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर उसमे बराबर मात्रा मे नीबूं का रस मिला कर लगाएं । चेहरे की झांईयां दूर होती है ।
चेहरे, गले व बांहों की त्वचा के लिए नीम की पत्ते व गुलाब के पंखुडियां समान मात्रा मे लेकर 4 गुना मात्रा पानी मे भीगो दें । सुबह इस पानी को इतना उबालें कि पानी एक तिहाई रह जाए । अब यदि पानी 100 मी ली हो, तो लाल चंदन का बारीक चूर्ण 10 ग्राम मिला कर घोल बनाएं व फ़्रिज मे रख दें । एक घंटे बाद इस पानी मे रुई डुबो कर चेहरे पर लगाएं । कुछ मिनट बाद रगड कर चेहरे की त्वचा साफ़ कर लें । अगर आंखों के नीचे काले घेरें हों तो सोते समय बादाम रोगन उंगली से आंखों के नीचे लगाएं और 5 मिनट तक उंगली से हल्के हल्के मलें । एक सप्ताह के प्रयोग से ही त्वचा में निखार आ जाता है और आंखों के नीचे के काले घेरें भी खत्म होते हैं ।
इन्हें भी आजमा कर देखें
Home Care Tips
दाग- धब्बे एसे छुडाएं
- चाय, काफ़ी, चाकलेट, कोको का दाग:- जब वस्त्र मे इन का दाग लग जाए तो कपडे पर खौलता पानी डालें, न छुटे तो थोडा सा बोरेक्स इस के उपर डालें। इस से भी न छुटे तो हाईड्रोजन पैराओक्साइड के घोल से छुडाएं। इस प्रकार के दाग सुखने के बाद पक्के हो जाते है इसलिए ताजे दाग पर थोडा सा टैलकम पाऊडर लगा कर सोखें फ़िर गर्म पानी से धोएं।
- आइसक्रीम के दाग:-अगर आइसक्रीम के दाग कपडों मे लग जाए तो अमोनिया का घोल डालें ।
- पान का दाग:-ऎसे दाग कपडो मे लग जाए तो कच्चे दूध मे फ़ूलने के लिए छोड दें दाग छूट जाएगा।
- पेंट तथा वार्निश का दाग:- कैरोसीन के तेल मे दाग वाले वस्त्र को डुबो दें, दाग आसानी से छूट जाएगा।
- रक्त का दाग:-अगर रक्त का दाग कपडों मे लग जाए तो तुरन्त पानी से धो लें। अगर दाग पुराना हो तो स्टार्च का पेस्ट फ़ैलाएं और कुछ देर तक सूखने दें फ़िर भीगो कर ब्रश कर दें, दाग छूट जाएगा।
रसोई मे काम की बातें
- चावलों मे साबुत नमक और राख मिला कर रखने से कीडे नही पड्ते।
- चावलों मे चूने का टुकडा रखने से भी कीडे नही पडते।
- आलू उबालते समय थोडा सा सिरका डाल देने से आलू का रंग सफ़ेद रहता है।
- पकौडे बनाते समय बेसन के साथ खाने का सोडा डाल कर तेल के साथ फ़ैट लें। इस से पकौडे खसता और स्वाधिष्ट बनेगें।
- चावल की खीर बनाते समय शकर के साथ थोडा सा नमक मिलाने से खीर का स्वाद और बढ जाता है।
- गेहूँ का दलिया बनाते समय उस मे थोडा सा तिल मिला दें और पकाने के बाद थोडी सी छोटी इलाइची पिसी हुई डालें। दलिया बहुत स्वादिष्ट हो जाएगा ।
- टमाटर की टोपी पर थोडा सा मोम लगा देने से ट्माटर कई दिनो तक ताजे बने रह्ते हैं।
- चावल की खीर बनाते समय चुटकी भर जावित्री का चूर्ण डालने से खीर बहुत स्वाधिष्ट हो जाता है।
- अगर आप के पास दही जमाने के लिए जामुन नही है तो इधर-उधर न भट्कें। दूध मे एक टुकडा नारियल का डाल दें सुबह आप को दही तैयार मिलेगी।
- अगर आप के दाल सब्जी मे मिर्च ज्यादा पड गयी हो तो घबराइए मत उस मे निंबू निचोड दीजिए मिर्च कम हो जाएगा।
- चने की सब्जी के बघार मे एक चम्म्च दही डाल देने से सब्जी बहुत स्वाधिष्ट हो जाती है
- करेले की कड्वाहट दुर करने के लिए उन्हे चावल की धोवन मे आधे घंटे भिगो दें ।
- अच्छा गाडा दही जमे इस के लिए दही जमाने से पहले उस मे थोडा सा कार्नफ्लोर मिला दें ।
- यदि काँफी बहुत कड्वी हो गई हो तो उस की कड्वाहट कम करने के लिए थोडा सा नमक मिला लें।
- प्याज़ काटने से पहले उन्हे 5 मिनट तक ठंडे पानी मे भिगो कर रख दें, इस से प्याज़ काटते समय आंसू नही निकलेगें ।
- कच्चे आमो को नमक के पानी मे रखने से वह जल्दी खराब नही होते।
- हरे कच्चे ट्माटरो को अखबार मे लपेट कर रखने से वह जल्दी पक जाते हैं।
- दूध मे थोडा सा खाने का सोडा डालकर रखने से गर्मी मे दूध फटता नही है।
- सब्जि जल्दी पक जाए और उस की रंगत भी बनी रहे इस के लिए सब्जी पकाते समय उसमे चुटकी भर चीनी डाल दें।
कपडों की सुरक्षा
- बरसात के दिनों मे बिस्तर, कपडे आदि रखने की पेटी या अल्मारी मे फिनाइल की गोलिय़ां रखने से कीडे मकौडे व बदबू से कपडे बचे रह्ते है।
जेवरों की देखबाल
- सोने दे जेवर पर पिसी हल्दी लगा कर मसलने से वे चमकने लगते हैं।
- मोती व चांदी के जेवर रुई मे लपेट कर रखने से काले नही पडते।
व्यर्थ वस्तुओं का उपयोग
- अगर आप थोडे थोडे बचे लिपस्टिक को फैकने जा रहें है तो रुकिए, उन्हे एक कटोरी मे खरोंच कर निकाल लें और ३-४ मिनट गर्म करने के बाद लिपस्टिक को खाली केसों मे डाल कर रख दें। ऐसा करने से आप का बचा हुआ लिपस्टिक फिर से काम आएगा और एक नया शेड भी आप को मिलेगा।
विविध
- अगर आप के हाथ गर्म तेल या किसी अन्य कारण से सेक लग जाता है तो ग्वारपाठे का पत्ता रगड लें जले पर रामबान ओषधि है। आप भी आजमा कर देखें।
मर्द सुबह मानसिक रुप से कमजोर होते हैं
कह्ते है कि एक अच्छी नींद और सफल दाम्पत्य जीवन किसी भी पुरुष व महिला के लिए अवशयक होता है लेकिन कभी कभी ऎसी बातें सामने आती है जो किसी को भी चौका सकती है। अभी तक यही समझा जाता रहा है कि पति पत्नी एक ही वैड पर शयन करना दोनो की निकटता मे बृद्धि करता है । अब एक नए अनुसंधान से जो बात सामने आयी है वह पुरुषों को काफी चौकाने वाली हो सकती है। इस के अनुसार रात्री को अपने पत्नी के साथ एक ही बिस्तर पर शेयन करने वाले पुरुष के मानसिकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड सकता है।
वियाना यूनिवर्सिटी के प्रौफेसर जेर्हाट कोलोसेके के नेतृत्व मे औस्टियन वेज्ञानिको के एक टीम ने अपने अनुसंधान से यह निष्कर्ष निकाला है कि रात्रि से सोते समय पति और पत्नी का सोने के तौर तरीके अलग अलग होतें हैं तथा एक दुसरे के नीदं मे खलल डाल सकतें हैं फोरम ओफ यूरोपियन न्यूरो सांसिस के अनुसार एक ही विस्तर पर सोने वाले दम्पति को एक दुसरे की मानसिक तरंगो से जो व्य्वधान होता है उस से दोनो की नींद मे बाधा पडती है लेकिन पति के मानसिकता पर अधिक प्रभाव पड्ता है जबकि पत्नी के मानसिकता पर अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड्ता है। वैसे यही बात प्रेमी प्रेमिकाओ या अविवाहित जोडो पर भी लागू होता है।
अनुसंधान मे पाया गया है कि ऎसी स्थिती मे अगली प्रात: पुरुषो का मास्तिष्क अपेक्षाकृत शिथिलता से काम करता है । जिन दम्प्तियों पर यह अनुसंधान किए गए 10 रात तक बिस्तर पर सोने तथा 10 रातें अलग-अलग बिस्तर पर सोने को कहा गया इस दौरान वैज्ञानिक उनके अध्ययन व डायरियां भी तैयार करते रहे। प्रत्येक सुबह मानसिक स्थिती व मानसिक क्षमता का अध्ययन भी किया जाता था ।
अनुसंधानकर्ताओ ने पाया कि जब वे दम्पति एक ही बिस्तर में सोए तो उन की नींद मे बार बार खलल पडता रहा। ऎसा प्रतीत होता था जैसे दोने की मानसिक तरंगें एक दुसरे की नींद को बाधा पहुँचा रही है जबकि उन्हे अलग-अलग सोने को कहा गया तो उन की नींद सामान्य रही। इस मे रोचक बात यह पायी गयी कि पुरुषो को इस बात की अनुभुति नही थी कि इस तरह एक ही बिस्तर मे सोने से उन की नींद मे बाधा आती है लेकिन महिलाओ को यह बात सपष्ट रुप से अहसास होता है कि अलग सोने से उन्हे अधिक अच्छी नींद आती है।
अनुसंधान मे पाया गया कि नींद पूरी न होने के कारण पुरुषो मे हारमोंस का स्तर असंतुलित सा हो जाता है और वे अगली सुबह मानसिक क्षमता परिक्षण मे कमजोर साबित होतें है।
भोजन की सही विधि जानिए
(Know the right food method)
सौजन्य: आरोग्यनिधि भाग दो
जीवन मे सुख-शान्ति व समृधि प्राप्त करने के लिए स्वस्थ शरीर की नितांत अवश्यकता है क्योकि स्वस्थ शरीर मे ही स्वस्थ मन और विवेकवती कुशाग्र बुद्धि प्राप्त हो सकती है स्वस्थ मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए उचित निद्रा,श्रम, व्यायाम और संतुलित आहार अति अवश्यक है। पाचों इन्द्रियों के विष्य के सेवन में की गई गलतियों के कारण ही मनुष्य रोगी होता है। इस मे भोजन की गलतियों का सब से अधिक महत्व है। अधिकांश लोग भोजन की सही विधि नही जानते। गलत विधि से गलत मात्रा मे अर्थात अवश्यकता से अधिक या बहुत कम भोजन करने से या अहितकर भोजन करने से जठराग्नि मंद पड जाती है, जिससे कब्ज रहने लगता है। तब आँतों मे रुका हुआ मल सड्कर दूषित रस बनाने लगता है। यह दूषित रस ही सारे शरीर मे फैलाकर विविध प्रकार के रोग उत्पन्न करता है। शुद्ध आहार से मन शुद्ध रहता है। साधारणत: सभी व्यक्तियों को आहार के कुछ नियमों को जानना अत्यंत आवश्यक है। जैसे-
बिना भुख के खाना रोगों को आमंत्रित करता है। कोई कितना भी आग्रह करे या आतिथ्यवश खिलाना चाहे पर आप सावधान रहें। सही भुख को पह्चानने वाले मानव बहुत कम होते हैं भूख न लगी हो फिर भी भोजन करने से रोगों की संख्या बढ्ती जाती है।एक बार किया हुआ भोजन जब तक पूरी तरह पच न जाए, खुलकर भुख न लगे दुबारा भोजन नही करना चाहिए । एक बार आहार ग्रहण करने के बाद दूसरी बार आहार ग्रहन करने के बीच कम से कम छ: घंटे का अन्तर रखना चाहिए । भोजन के प्रति रुचि हो तब समझना चाहिए कि भोजन पच गया है, तभी भोजन ग्रहन करना चाहिए।
रात्री के आहार के पाचन में समय़ अधिक लगता है इसलिए रात्री के प्रथम प्रहर में ही भोजन कर लेना चाहिए। शीत ऋतु मे रातें लम्बी कारण सुबह भोजन जल्दी कर लेना चाहिए और ग्रर्मियों मे दिन लम्बे होने के कारण सायंकाल का भोजन जल्दी कर लेना उचित है।
अपनी प्रकति के अनुसार उचित मात्रा मे भोजन करना चाहिए। आहार की मात्रा व्यक्ति की पाचनशक्ति व शारीरिक बल के अनुसार निर्धारित होती है। स्वभाव से हलके पदार्थ जैसे कि चावल, मूँग, दूध अधिक मात्रा मे ग्रहन करना चाहिए परंतु उड्द, चना तथा पिट्टी के पदार्थ स्वभावत: भारी होते है, जिन्हे कम मात्रा मे लेना उपयुक्त रह्ता है।
भोजन स्निग्ध होना चाहिए। गर्म भोजन स्वादिष्ट होता है, पाचनशक्ति को तेज करता है और शीघ्र पच जाता है। ऐसा भोजन अतिरिक्त वायु और कफ को निकाल देता है। ठंडा या सूखा भोजन देर से पचता है। अत्यंत गर्म अन्न बल का हास करता है। स्निग्ध भोजन शरीर को मजबूत बनाता है, उस का बल बढता है और वर्ण मे भी निखार लाता है।
चलते हुए, बोलते हुए अथवा हँसते हुए भोजन नही करना चाहिए।
दूध के झाग बहुत लाभदायक होते है। इसलिए दूध को खूव उलट पुलटकर, बिलोकर, झाग पैदा करके पीऐं। झागों का स्वाद ले कर चूसें। दूध मे जितना ज्यादा झाग होगें, उतना हे वह लाभदायद होगा।
चाय या काफी सुबह खाली पेट कभी न पिऐ, दुशमन को भीन पिलाऐं ।
एक सप्ताह से अधिक पुराना आटे का उपयोग स्वास्थय के लिए लाभदायक नही है ।
स्वादिष्ट अन्न मन को प्रसन्न करता है, बल व उत्साह बढाता है तथा आयुष्य की वृद्धि करता है, जबकि स्वादहीन अन्न इसके विपरित असर करता है।
सुबह सुबह भरपेट भोजन न करके हल्का फुल्का नाश्ता ही करें।
भोजन करते समय चित्त को एकाग्र रख कर सबसे पहले मधुर, बीच मे खट्टे और नमकीन तथा अंत मे तीखे व कडवे पदार्थ खाने चाहिए। अनार आदि फल तथा गन्ना भी पहले लेने चहिए। भोजन के बाद आटे के भारी पदार्थ, नये चावल या चिडवा नही खाना चाहिए।
पहले धी के साथ कठिन पदार्थ, फिर कोमल व्यंजन और अंत मे प्रवाही पदार्थ खाने चाहिए।
माप से अधिक खाने से पेट फूलता है और पेट मे से अबाज आती है। आलस होता है, शरीर भारी होता है। माप से कम खाने से शरीर दुबला होता है और शक्ति का क्षय होता है ।
बिना समय के भोजन करने से शक्ति का क्षय होता है, शरीर अशक्त बनता है। सिर दर्द और अजीर्ण के भिन्न-भिन्न- रोग होती हैं। समय बीत जाने पर भोजन करने से वायु से शरीर कमजोर हो जाती है, जिससे खाया हुआ अन्न शायद ही पचता है। और दुबारा भोजन करने की इच्छा नही होती।
जितनी भूख हो उससे आधा भाग अन्न से, पाव भाग जल से भरना चाहिए और पाव भाग वायु के आने जाने के लिए खाली रखना चाहिए। भोजन से पूर्व पानी पीने से पाचनशक्ति कमजोर होती है, शरीर दुबला होता है। भोजन के बाद तुरंन्त पानी पीने से आलस्य बढ्ता है और भोजन सही नही पचता। बीच मे थोडा सा पानी पीना हीतकर है। भोजन के बाद थोडा सा छाछ पीना आरोग्यदायी है। इससे मनुष्य कभी रोगी नही होता।
प्यासे व्यक्ति को भोजन नही करना चाहिए। प्यासा व्यक्ति भोजन करता है तो उसे आँतों के भिन्न-भिन्न रोग होते है। भूखे व्यक्ति को पानी नही पीना चहिए। अन्न सेवन से ही भूख को शांत करना चाहिए।
भोजन के वाद बैठे रहने वाले के शरीर में आलस्य भर जाता है। बायीं करवट ले कर लेटने से शरीर पुष्ट होता है। सौ कदम चलने वाले के उम्र बढती है और दौड्ने वाले की मृत्यू उसके पिछे ही दौड्ती है।
रात्री को भोजन के तुरन्त बाद शयन न करें, २ घंटे के बाद ही शयन करें।
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